देत लेत मन संक न धरई
बल अनुमान सदा हित करई
विपति काल कर सतगुन नेहा
श्रुति कह संत मित्र गुन एहा।।
गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार मित्र लेन- देन करने में शंका नहीं करते। अपनी शक्ति अनुसार सदा मित्र की भलाई करते हैं। वेद के मुताबिक संकट के समय एक अच्छा मित्र सौ गुना स्नेह- प्रेम करता है।अच्छे मित्र का यही गुण है।
इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए आज दिनांक 25/07/24 वीरवार को छटी कक्षा के विद्यार्थियों ने अपने प्रिय मित्र की योग्यताओं को दर्शाते हुए भावभीनी प्रस्तुती देकर अपने उत्साह का प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता का प्रस्तुतीकरण अपनेआप में प्रशंसनीय रहा।
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